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आसान नहीं किसी को सजा कराना: डीजी राजेंद्र कुमार
मप्र लोक अभियोजन विभाग वल्र्ड बुक ऑफ रिकार्ड्ज़ से सम्मानित
प्रॉसीक्यूशन एप बनाने के लिए डीजी राजेंद्र कुमार को भी मिला सम्मान
इंदौर। एक साल मेें जघन्य अपराधों के मामलों में अधिक से अधिक अपराधियों को फांसी की सजा दिलाना किसी सपने से कम नहीं था, लेकिन यह सपना सच हुआ है लोक अभियोजन विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों की टीम से। किसी को भी सजा दिलाना आसान नहीं है, इसके लिए काफी मेहनत लगती है और हर केस में बारिकी से जांच करनी पड़ती है। इसमें सभी का सहयोग जरूरी है। यह सभी की मेहनत का ही परिणाम है कि आज मप्र लोक अभियोजन विभाग को बुक ऑफ वल्र्ड रिकार्ड की ओर से सम्मान मिला है।
यह बात मप्र लोक अभियोजन विभाग के डीजी श्री राजेंद्र कुमार ने वल्र्ड बुक ऑफ रिकार्ड्ज़ -लंदन द्वारा विभाग को प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किए जाने के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कही। श्री राजेंद्र कुमार को भी विभाग के लिए प्रॉसीक्यूशन एप बनाने और इसके जरिए ई-गवर्नेस को नई ऊंचाई प्रदान करने के लिए बुक ऑफ वल्र्ड रिकार्ड द्वारा प्रमाण पत्र से सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम की शुरूआत में संचालन करते हुए जिला लोक अभियोजन अधिकारी मोहम्मद अकरम शेख ने उपस्थित सभी अतिथियों का परिचय देते हुए कार्यक्रम के बारे में जानकारी दी और विभाग की उपलब्धियां बताते हुए कहा कि डीजी साहब ने खुली आंखों से जो सपने दिखाए थे वो आज पूरे होते हुए दिखाई दे रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि इसमें सभी का सहयोग है। इस अवसर पर मुख्य अतिथि रमेश गर्ग (पूर्व मुख्य न्यायाधीश, असम उच्च न्यायालय), इंदौर ने कहा कि विभाग की प्रशंसा करते हुए कहा कि मुझे खुशी है कि मैं विभाग को यह सम्मान प्रदान कर रहा हूं।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए श्री राजेंद्र कुमार ने एप बनाने के बारे में जानकारी दी कि सभी जगह पर इंटरनेट के जरिए कार्य संभव नहीं है, लेकिन आज के समय में सभी मोबाइल का उपयोग करते हैं और इसमें इंटरनेट भी चलाते हे। इसी बात को ध्यान में रखते हुए विभाग के सभी अधिकारियों और कर्मचारियों के काम पर निगाह रखने और कार्यों में तेजी लाने के लिए एप बनाया गया। इस एप को बनाने के बाद शुरूआत के दो-तीन माह में ही परिणाम आने लगे और कार्य में भी तेजी आई। एप पर सभी अपने प्रतिदिन की जानकारी अपडेट करने लगे, जिससे पूरे प्रदेश में जिन केस के बारे में कार्य किए जा रहे थे उनकी जानकारी मिलने लगी।
एप से आई क्रांति
डीजी श्री कुमार ने बताया कि एप बनाने के बाद विभाग में काम को लेकर मानो क्रांति आ गई। सभी इसका उपयोग करते हुए अपडेट रहने लगे। साथ ही उन अधिकारियों को सम्मानित किया जाने लगा, जो अच्छा कार्य कर रहे हैं। उन्हें अवार्ड भी दिए जाने लगे। इसका परिणाम यह हुआ कि छोटे जिले जैसे, पन्ना, खरगोन और नीमच सहित अन्य जिलों में भी तेजी से प्रकरणों का निराकरण होने लगा और हर अधिकारी अच्छे से अच्छा कार्य करने लगे। चूंकि एप से कार्यों में तेजी आई तो केस भी तेजी से निपटने लगे।
प्रधानमंत्री ने भी की प्रशंसा
अपने संबोधन में श्री राजेंद्र कुमार ने जानकारी दी कि देश के इतिहास में पहला अवसर है, जब देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा लाल किले की प्राचीर से 15 अगस्त 2018 को कटनी में बालकों के यौन उत्पीडऩ के मामले में मात्र 5 कार्य दिवस में फांसी की सजा को उल्लेखित कर मप्र लोक अभियोजन विभाग के कार्य की प्रशंसा की गई।
मप्र पहला राज्य बना
एक वर्ष में 18 नाबालिगों के साथ दुष्कर्म एवं तीन हत्या के मामलों में अपराधियों को फांसी की सजा दिलाने वाला मप्र पहला राज्य बन गया है। श्री राजेंद्र कुमार ने बताया कि उत्तरप्रदेश और महाराष्ट्र सहित 10 राज्यों के द्वारा मप्र आकर इतनी जल्दी प्रकरणों का निपटारा कैसे किया जाता है इसकी जानकारी भी विभाग से ली जाने लगी है।
पहली बार हुए दूसरे राज्य में बयान, सजा भी मिली
एक केस बारे में जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि मप्र में एक नाबालिग से दुष्कर्म के मामले मेें जब पीडि़ता की तबियत ज्यादा बिगड़ गई और उसे दिल्ली के अस्पताल में भर्ती कराया गया तो लोक अभियोजन अधिकारियों की पहल पर स्पेशल जज के द्वारा दूसरे राज्य में उसके बयान दर्ज किए गए, वहीं केस की सुनवाई के दौरान वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए पीडि़ता ने अपने बयान दिए। इस केस में भी आरोपी को सजा हुई। यह पहला मामला था, जब किसी केस में दूसरे राज्य में पीडि़ता के बयान हुए।
समय के साथ सबकुछ बदला
– गर्ग कार्यक्रम के मुख्य अतिथि रमेश गर्ग (पूर्व मुख्य न्यायाधीश असम उच्च न्यायालय), इंदौर ने कहा कि समय के साथ सबकुछ बदल गया है। पूर्व में लोक अभियोजन विभाग के द्वारा प्रकरणों की कार्रवाई में जो समय लगता था, अब इतना समय नहीं लगता। डीजी राजेंद्र कुमार की प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा कि नए विभाग के लिए एप बनाकर इन्होंने कार्य को किस तरह आसान तरीके से करना यह सिखाया। इस दौरान उन्होंने यह भी बताया कि प्रॉसीक्यूशन को किस केस के लिए क्या करना चाहिए। इसके साथ ही कुछ पुराने प्रकरणों की भी जानकारी दी।
सुगठित अनुसंधान हो
आशा माथुर पूर्व आईपीएस ने अपने संबोधन में लोक अभियोजन विभाग को इस उपलब्धी पर बधाई देने के साथ ही कहा कि किसी भी केस में अनुसंधान सही कराए तो बेहतर परिणाम सामने आते हैं। सुगठित अनुसंधान से ही सफलता मिलती है। उनका कहना था कि अनुसंधान चाहे किसी भी अधिकारी-कर्मचारी से कराए, लेकिन वह सही होना चाहिए।
प्रदेश व इंदौर का गौरव बढ़ाया-दुबे
कार्यकम में केंद्रीय राजभाषा समिति नई दिल्ली के सदस्य संजीव दुबे ने भी संबोधित करते हुए लोक अभियोजन विभाग को इस उपलब्धि पर बधाई देते हुए कहा कि इस सम्मान से मध्यप्रदेश और इंदौर का गौरव बढ़ा है। यह सभी के लिए सम्मान की बात है।
जितना टारगेट था, उससे ज्यादा को दिलाई सजा वर्ष 2018 में बच्चियों और नाबालिगों के साथ दुष्कर्म पर हत्या के मामलों में 21 अपराधियों को फांसी की सजा दिलाने के बारे में जानकारी देते हुए विभाग की जनसंपर्क अधिकारी श्रीमती मौसमी तिवारी ने बताया कि जब डीजी सर ने यह टारगेट दिया तो एक सपना लगा रहा था कि यह संभव हो सकेगा कि नहीं, लेकिन उन्होंने 20 अपराधियों को सजा दिलाने की बात कही थी और हम सबने मिलकर एक वर्ष में 21 केसों में सजा दिलाई।
इन्हें भी किया सम्मानित
इस अवसर पर विभाग की जनसंपर्क अधिकारी श्रीमती मौसमी तिवारी को भी वल्र्ड बुक ऑफ रिकार्ड्ज़-लंदन द्वारा विभाग के लिए किए गए उनके उत्कृष्ट कार्यों के लिए प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया। वहीं लोक अभियोजन विभाग के प्रशिक्षण कार्यक्रमों में समय-समय पर सहयोग करने पर कविता शर्मा सीईओ (आरकॉम) व प्रकल्प मट्टा, (डायरेक्टर इफोलॉजिक कंस्लटेंट) का भी सम्मानित किया गया। इसके पूर्व बुक ऑफ वल्र्ड रिकार्ड के प्रेसीडेंट संतोष कुमार शुक्ला ने वल्र्ड बुक ऑफ रिकार्ड्ज़ की जानकारी दी और टीम के सभी सदस्यों ने मौजूद अतिथियों व उपस्थित अधिकारियों का शॉल ओढ़ाकर सम्मान किया। कार्यक्रम के अंत में श्रीमती तिवारी ने सभी का आभार भी माना।